Saturday, October 25, 2014

मैं



मैं ऐसा ना होता... अगर तुम ना आती..
तेरी हस्सी से अब होती है सुबह..
तेरे बाहों मे है रात कट जाती..
मैं ऐसा ना होता... अगर तुम ना आती..

बिखरा था मैं पहले.. अब सिमटा हूँ..
लड़खड़ाए से थे कदम.. अब संभाला हूँ..
इन सूनी रातो में.. ये तेरी याद दिल से नही जाती..
शायद मैं ऐसा ना होता... अगर तुम ना आती..

वो तेरा मुझ पर हक जताना ही काफ़ी था..
वो खुद को नये कपड़ो मे दिखाना ही काफ़ी था..
वो तेरी हस्सी मेरे बातो पे हैं जादू कर जाती..
शायद मैं ऐसा ना होता... अगर तुम ना आती..

वो तेरे सपनो को मुझसे जोड़ जाना..
वो मेरे लिए रोज सज के आना..
तेरी बाहों मे हैं मेरी धड़कने खो जाती..
शायद मैं ऐसा ना होता... अगर तुम ना आती..

मैं ऐसा ना होता... अगर तुम ना आती..
मैं ऐसा ना होता... अगर तुम ना आती..

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