वो छोटी रात जाने इतनी बड़ी कैसे हो गयी
जब घड़ी की सुई तेज और धड़कने धीरे चलती थी
तब ओस की बूँदों पे फिसलते थे सपने
और दूर हो कर भी पास थे तुम कितने
तब किलकरियों से तेरे चैन आता था
तेरे आसुओं पे मेरा भी दिल भर आता था
जब तेरे साँस की गर्मी से धड़कने तेज होती थी
और अंगड़ायों पे तेरी सुबह की किरने निकलती थी
आज देखो मेरे बिस्तर को भी शिकायत है
इन उजले तकियों को तेरे ज़ुल्फो की चाहत है
मेरे चादर मुझसे तेरी गर्मी माँग रहे
और ये तौलिए तेरी खुश्बू बखान रहे
है उदास ये दरवाजा.. की अब इनकी ज़रूरत नही
मुझसे पहले तुझे इनकी खबर रही..
पर्दे हैं खोए से की किसी ने इन्हे बदला नही..
सच है इनकी गुलाबी रंग की मुझे कदर नही
आ जाओ मेरे पास कम से कम इनके लिए ही सही..
गर तुम भी हो वहाँ उदास इनके लिए ही सही..
आ जाओ और घुल जाओ मुझमे और करो पूरा सपना..
जहाँ गुआबी पर्दो वाला एक सुंदर सा घर हो अपना..
जब घड़ी की सुई तेज और धड़कने धीरे चलती थी
तब ओस की बूँदों पे फिसलते थे सपने
और दूर हो कर भी पास थे तुम कितने
तब किलकरियों से तेरे चैन आता था
तेरे आसुओं पे मेरा भी दिल भर आता था
जब तेरे साँस की गर्मी से धड़कने तेज होती थी
और अंगड़ायों पे तेरी सुबह की किरने निकलती थी
आज देखो मेरे बिस्तर को भी शिकायत है
इन उजले तकियों को तेरे ज़ुल्फो की चाहत है
मेरे चादर मुझसे तेरी गर्मी माँग रहे
और ये तौलिए तेरी खुश्बू बखान रहे
है उदास ये दरवाजा.. की अब इनकी ज़रूरत नही
मुझसे पहले तुझे इनकी खबर रही..
पर्दे हैं खोए से की किसी ने इन्हे बदला नही..
सच है इनकी गुलाबी रंग की मुझे कदर नही
आ जाओ मेरे पास कम से कम इनके लिए ही सही..
गर तुम भी हो वहाँ उदास इनके लिए ही सही..
आ जाओ और घुल जाओ मुझमे और करो पूरा सपना..
जहाँ गुआबी पर्दो वाला एक सुंदर सा घर हो अपना..
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